
अरे पॉल को तो जानते ही होंगे. मिस्टर पॉल, जिन्होंने भारत और चीन सहित दुनिया के तमाम ज्योतिषाचार्यों के गणना सूत्रों को ध्वस्त कर दिया है. जिन्हें आप स्टूडियो में बुलाकर उन्हें बहसतलब नहीं कर सकते, पर उनके बिना कोई भी स्टूडियो विश्वकप फुटबॉल की बात पूरी नहीं कर पा रहा है. ये मिस्टर पॉल हैं अष्टभुजा ऑक्टोपस, जो जिस देश के डिब्बे पर तैरते हुए बैठ जाते हैं, भाग्य वहीं ठहर जाता है.
पिछले कुछ दिनों में जब एक के बाद एक ऑक्टोपस की भविष्यवाणियां सही होती गईं, लोग इस भविष्य का सच आंककर सामने रख देने वाले ऑक्टोपस पर नज़र गड़ाकर देखने लगे. ऑक्टोपस पर भी नज़रें उतनी टिकी रहती हैं, जितनी मैदान पर गेंद की चाल पर. अजेय अर्जेंटीना की जर्मनी के हाथों करारी हार से इस ऑक्टोपस का मान और स्थापित हो गया. रही सही कसर पूरी कर दी स्पेन और जर्मनी के मैच ने. विश्वकप में अभी तक का सबसे शानदार प्रदर्शन करती आ रही और विश्वविजेता रह चुकी टीम जर्मनी के जीतने को लेकर कम ही लोगों के मन में संशय था. 7 जुलाई को जब जर्मनी स्पेन से हारा तो हर तरह स्पेन-स्पेन नहीं, ऑक्टोपस-ऑक्टोपस सुनाई दे रहा था.
हर विश्वकप का यादगार हीरो कोई न कोई खिलाड़ी ही होता है पर इस विश्वकप में मैराडोना, पेले, जिदान, रोनाल्डो जैसी प्रसिद्धि किसी खिलाड़ी को नहीं, एक ऑक्टोपस को मिल गई है. सचमुच पॉल हीरो बन गया है विश्वकप का. फ़ाइनल के सटोरिये टीमों के कौशल और रणनीति से ज़्यादा ऑक्टोपस के करवट पर बोली लगाने वाले हैं.
पर विश्वकप के बाद पॉल क्या करेगा… मेरे पास बहुत से ऐसे सवाल हैं जिन्हें मैं वैश्विक हित में पॉल के ज़रिए सुलझाना चाहता हूं. मसलन, पॉल को अगर अमरीका और ओबामा का विकल्प दें तो किसकी जीत की ओर पॉल का इशारा होगा. नक्सलियों और चिदंबरम साब की सफलता के कयास पर पॉल का क्या कहना है. अयोध्या में मंदिर बनेगा या पुलिस चौकी, इराक़ में शांति आएगी या नहीं, इसराइल और फलस्तीन में आखिरी जीत किसकी होगी, अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी अभियान कभी सफल होगा भी या नहीं, तालेबान ज़्यादा नुकसानदायक है या अमरीका का एकात्म वर्चस्ववाद. मायावती और सोनिया में ज़्यादा ताकतवर कौन है, भोपाल का असली गुनहगार कौन है, इस्लाम बनाम ईसाइयत की जंग में आखिर कौन बचेगा, भारत कभी हिंदूराष्ट्र बनेगा या नहीं. कश्मीर किसके हिस्से जाएगा या अनाथ रह जाएगा… ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं मेरे जेहन में और दुनियाभर में करोड़ों लोग इससे प्रभावित हैं.
सोचता हूँ, भविष्यवाणियों और ज्योतिष को गाली देने की अपनी आदत छोड़ू और पॉल से अब ये सारे सवाल पूछ डालूं.
Written By पाणिनि आनंद
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