सोमवार, 26 जुलाई 2010

दीदी यह क्या झोल है?

भारतीय रेल हम भारतवासियों के जीवन का एक अहम हिस्सा है। रेल मंत्रालय ने यात्रियों की सुविधा के लिए अनेक सेवाएं शुरु तो कर दी हैं,लेकिन कई सेवाओं में खामियां ही खामियां देखने को मिलती हैं।

मसलन रेलवे ने यात्रियों को आरक्षण की सुविधा देने के लिए वेबसाइट लांच करी जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति कतारों में बगैर धक्के खाए घर बैठे ही अपना रेल आरक्षण करा सकता है। लेकिन इस वेबसाइट पर दी गयी सुविधा का उपयोग करके अगर कोई व्यक्ति आरक्षण करा चार्ट बनने के बाद यात्रा नहीं करता है और सोचता है कि वेबसाइट पर टीडीआर(टिकट डिपॉजिट रिसीट) सुविधा का उपयोग कर पैसा वापस मिल जायेगा तो यह उसकी भूल है।

रेलवे पहले ही भुगतान करने के लिए नब्बे दिनों का समय लेती है, उसके बाद भी वह टिकट धारक का भुगतान करने में आना-कानी करती है। अगर आपकी किस्मत अच्छी होगी तो पैसा क्रेडित कर दिया जायेगा नहीं तो भगवान ही मालिक है।

इसका जीता जागता उदाहरण हैं रेलवे के एजेंट ए पांडेय उनके द्धारा कराये गये अनेक टिकटों का भुगतान रेलवे से कई महीने बीत जाने के बाद भी नहीं हुआ है। यह तो उदाहरण भर है न जाने कितने यात्रियों का पैसा रेलवे पर बकाया है और रेलवे ही जाने यह पैसा टिकट धारक को मिल भी पाएगा या नहीं।

मुझे ऐसा प्रतीत होता है कहीं रेलवे की यह मुनाफा बढ़ाने की तरकीब तो नहीं। अब बताइये दीदी का यह कैसा झोल है ?

Source:Samaylive

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